पुरुष उर्वरता की बुनियादी बातें
- पुरुष उर्वरता की समस्याओं के सबसे आम कारण वे होते हैं जिनमें वृषणों में शुक्राणुओं के उत्पादन में खराबी आ जाती है या जनन नलियों में से कोई नली बाधित हो जाती है।
- शुक्राणुओं को अपनी प्रारंभिक अवस्था से बाहर निकलने की अवस्था में आने में लगभग 3 महीनों का वक्त लगता है- यही कारण है कि पुरुष उर्वरता के उस उपचार में जिसमें आहार और परिवेश में बदलाव किए जाते हैं, दंपत्तियों को फिर से गर्भ धारण करने का प्रयास करने के लिए 3 महीनों की प्रतीक्षा करने की सलाह दी जाती है।
- लगभग 70 दिनों में विकसित होने के बाद, परिपक्व शुक्राणु वृषण छोड़ देते हैं और स्खलित होने से ठीक पहले सेमिनल वेसिकल्स, प्रोस्टेट ग्लैंड और बल्ब-यूरेथ्रल एवं यूरेथ्रल ग्लैंड्स से निकलने वाले तरल पदार्थों के साथ मिलने से पहले वृषणों से कई नलियों से होकर गुजरने में उन्हें अन्य 14 दिनों का समय लगता है। स्खलन के बाद थोड़ा थका हुआ महसूस करना एक स्वाभाविक घटना होती है।
- एक स्वस्थ पुरुष के वृषणों में रोजाना लगभग 100 मिलियन शुक्राणु बनते हैं।उम्र, तनाव, खराब स्वास्थ और पुरुष उर्वरता को प्रभावित करने वाले हीट, कैमिकलों या रेडियन के संपर्क में आने से यह संख्या घट जाती है।
- लगभग 60% वीर्य सेमिनल वेसिकल्स से आता है और लगभग 30% प्रॉस्ट्रेट ग्लैंड से मिलता है। वीर्य की औसत मात्रा 2 से 5 मि.ली के बीच होती है और औसत शुक्राणु सांद्रता लगभग 85 मिलियन प्रति मि.ली होती है।
- एक ‘सामान्य’ शुक्राणु नमूने में अक्सर काफी सारे मृत या बेकार शुक्राणु भी मौजूद रहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ‘सामान्य’ शुक्राणु नमूना की परिभाषा इस प्रकार देता है:
- कम से कम 20 मिलियन प्रति मि.ली शुक्राणु सांद्रता
- कुल शुक्राणु मात्रा कम से कम 40 मिलियन
- कुल वीर्य मात्रा कम से कम 2 मि.ली
- कम से कम 75 प्रतिशत शुक्राणु अभी भी जीवित
- “सामान्य आकार और स्वरूप वाले” (संरचना) कम से कम 30 प्रतिशत शुक्राणु
- कम से कम 25 प्रतिशत शुक्राणु तीव्र तफ़्तार से आगे की तैरने वाले
- कम से कम 50 प्रतिशत शुक्राणु किसी भी रफ़्तार से आगे की तैरते हुए (गतिशीलता)
महिला उर्वरता की बुनियादी बातें
- महिला उर्वरता की समस्याओं से जुड़े सबसे आम कारणों में शामिल होते हैं- अंडोत्सर्ग होने में विफलता, गर्भाशयी या फ़ैलोपियन नलियों में खराबी या एंडोमेट्रियॉसिस जैसे आम विकार।
- महिला उर्वरता चक्र एक जैव प्रतिक्रिया चक्र होता है जिसमें कई सारी ग्रंथियों और हॉर्मोनों के बीच संयोजन जुड़ा रहता है।
- महिला उर्वरता चक्र या मासिक चक्र प्रायः तब आरंभ होता है जब पिट्युटरी ग्लैंड से निकलने वाले हॉर्मोंस आपके गर्भाशय को उसके स्तर पर जमे अतिरिक्त जमाव को हटाने का संकेत देते हैं। इसलिए यह चक्र माहवारी के पहले दिन से ही आरंभ होता है।
- ज्योंही इन हॉर्मोनों का स्तर बढ़ता है आपका अंडाशय फ़ॉलिकल्स बनाना शुरु करता है। सामान्यतः एक (और कभी-कभी दो) फ़ॉलिकल्स एक अंडे के शक्ल में परिवक्व होते हैं, जो फ़ैलोपियन नली में निषेचण का इंतजार करता है।
- इस बिंदु पर हॉर्मोन का स्तर फिर बदल जाता है। 14 दिनों के बाद यदि अंडा निषेचित नहीं होता है, तो हॉर्मोन का गिरता स्तर पिट्युटरी ग्लैंड को एक बार फिर संपूर्ण महिला उर्वरता चक्र को दुहराने का संकेत देता है।
पुरुष और महिला उर्वरता आहार
- चूंकि महिला उर्वरता उम्र से काफी प्रभावित होती है, इसलिए जीवन-शैली कारकों की वजह से होने वाले आपके ‘आंतरिक’ बुढ़ापे का इसपर काफी असर माना जाता है।
- कई ऐसे आहार हैं जिन्हें “शुक्राणु-हितैषी” माना जाता है और ये शुक्राणु की गुणवत्ता बढ़ाते हैं। ऐसे विटामिन की खुराक जिनमें जिंक, सेलेनियम और बी-ग्रुप के विटामिन शामिल होते हैं, काफी कारगर माने जाते हैं।
- पुरुष और महिला दोनों की उर्वरता धूम्रपान से, शराब की खपत और कैफीन की खपतसे और साथ ही ट्रांस-वसा में उच्च भोजन खाना से नकारात्मक रूप से प्रभावित साबित हुआ है (प्रायः सभी फ्रायड फास्ट फूड और काफी सारी मिठाइयों से) ।
- ए सामान्य स्वास्थ्यकर आहार जो आहार असंसाधित भोजन से युक्त हों, जैसे कि फल और सब्जियाँ (संभव हो तो ऑर्गैनिक), कम-वसा वाले डेयरी उत्पाद और प्रोटीन्स, साबुत अनाज, फलियाँ और मेवे, बीज जैसे आहार पुरुष और महिला दोनों की उर्वरता बढ़ाने में कारगर होते हैं।
- ऐसे शारीरिक व्यायाम जो सुझाए स्तर तक हृदय गति बढ़ाते हों, कम से कम हफ्ते में तीन बार 30 मिनट के लिए करना चाहिए; इससे भी महिला उर्वरता में वृद्धि होगी।ओट्स, राई, गेहूँ और कुट्टू का आटा जैसे अनाजों की अच्छी मात्रा में लेने का सुझाव दिया जाता है। अंडे की जर्दी और ज्यादातर सीफूड (ख़ासकर ऑइस्टर और गहरे समुद्र की मछलियाँ) शुक्राणु बढ़ाने वाले पोषक तत्त्वों से भरे होते हैं।