यह निश्चित है कि आपका जीवन आपके शिशु के जन्म के बाद पूरी तरह बदल गया है।हर दिन लगता है जैसे धुंधलेपन से गुजर रहा हो और एकमात्र चीज जो आपको व्यस्त रखेगी वह होगी अपने शिशु की जरूरतों को पूरा करना। महीने का होने पर भी, शिशुओं को बार-बार भूख लगती है और उनके सोने का पैटर्न बिल्कुल अप्रत्याशित होता है। एक नई मां के रूप में आप अभी भी विचार कर रही होती हैं कि जीवन का यह नया चरण कैसा लगता है और इन सब में इस मौलिक और उपयोगी जानकारी के साथ हम आपकी मदद करेंगे।
आपकी भावनाएं
जीवन के इस चरण में आप खुद को थोड़ा थकी हुई और क्लांत महसूस कर सकती हैं। गर्भावस्था की आपकी शुरुआती संचित ऊर्जा क्षीण होने लगती है और कभी-कभी आप बहुत थका हुआ महसूस करती हैं। आपके लिए यह अच्छा होगा कि आप उस वक्त सो लें जब आपका शिशु सो रहा हो। शिशु के सोने के समय को बहुत सारा काम-काज निपटाने के अवसर के रूप में न देखें। ऐसा करना आपके लिए केवल थकान भरा होगा और आप अधिक क्लांत महसूस करेंगी।
खुद की देखभाल
जरूरी बातों को नजरअंदाज़ न करें। नहाना, साफ कपड़े पहनना, ब्रश करना और बाल संवारना आपको निःसंदेह बेहतर महसूस कराएंगे। कभी-कभी ऐसा हो सकता है कि अपने खुद के काम-काज में आपको शिशु को रोता हुआ छोड़ना पड़े। बहुत सी मांओं के लिए यह जीवन का सत्य है।यदि आप अपने शिशु को किसी सुरक्षित स्थान जैसे कि उसके बिस्तर में थोड़ी देर के लिए छोड़ती हैं तो इसमें कोई हर्ज नहीं है। ब्रेक लेना और खुद के लिए कुछ करना आपके नज़रिए को बदल सकता है और इससे आपको अपने शिशु की देखभाल के लिए नई ऊर्जा मिलती है।
आपकी नींद की जरूरत
मान कर चलें कि आपकी रात की नींद पूरी नहीं होगी क्योंकि शुरुआती दौर में ऐसा होना सामान्य है।इसलिए यदि आपने पहले कभी दिन में झपकी न भी ली हो, तो यह वो समय है जब दिन की झपकी आपके लिए जरूरी होगी। केवल नींद ही आपकी एकमात्र जरूरत नहीं होगी, बल्कि थोड़ा आराम करना, अपने पैर ऊपर रखकर आराम से बैठना, मैग्जीन पढ़ना या फिर कुछ भी न करने से आपकी ऊर्जा संचित होती है और आपको एक ऐसी मां बनने में मदद मिलती है जो अधिक सहनशील हो और जिसे पर्याप्त आराम मिलता हो।
आपके रिलेशनशिप (संबध)
यह दौर बहुत व्यस्तता भरा होता है जिससे आपको अपने रिलेशनशिप के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है। जरूरी चीजों को प्राथमिकता दें और यदि आप अपने जीवनसाथी या दोस्तों को पर्याप्त समय नहीं दे पाती हैं तो इस कारण मन में कोई अपराधबोध न रखें। समझदार वयस्कों को यह पता होता है कि शिशुओं पर मां-बाप का बहुत सारा ध्यान और बहुत सारी ऊर्जा लगती है, इसलिए खुद के प्रति अधिक कठोर न बनें। यह एक गुजर जाने वाला चरण है जिसे नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता।