जन्म से ही बच्चे के साथ कहानियाँ पढ़ना शुरू कर दें। बचपन से ही अपने बच्चे में पढ़ने की रूचि को प्रोत्साहित करते रहें।
- बच्चे के साथ रोज़ कहानियां पढ़ें। इसे अपने बच्चे के दैनिक दिनचर्या का एक अपेक्षित और दिलचस्प हिस्सा बनाएं।
- पठन मजेदार बनाएं! यदि आप पठन पसंद करते हैं, तो वे भी करेंगे। वे पठन को खुशी से जोड़ने लगेंगे।
- ऐसी पुस्तकें चुनें जो बच्चे आसानी से समझें; किताबें जो उनके अनुभवों को समेटे।
- अपने बच्चे और एक किताब के बीच एक व्यक्तिगत संबंध बनाएँ।
- अपने बच्चे के साथ किताबें लिखें जिनमे उनके परिवार, स्कूल और जीवन की बाते हों। यह उनमें किताबों से प्रेम करने में प्रोत्साहित करेगा।
- हमेशा ध्यान में रखें की आपका बच्चा आपको पढ़ते हुए देखे, चाहे वह किताब हो, या अखबार हो, या अनाज पैकेट हो। अगर वे देखते हैं कि आप पढ़ने का लुत्फ़ उठाते हैं, तो वे भी पढ़ना चाहेंगे।
- ऐसी पुस्तकों को न चुनें जो आपके बच्चे की उम्र और अनुभव के अनुकूल नहीं हैं। अगर यह अनुभव उन्हें सुखद नहीं लगता, तो वे और पढना नहीं चाहेंगे।
- बच्चे को नियमित रूप से पुस्तकालय के स्टोरी-टेलिंग बैठक में ले जाएं। अक्सर ऐसी बैठकें शिल्प और कला से भी जुडी होती हैं और इससे आपका बच्चे पढने को ख़ुशी और मस्ती से जोड़ने लगेगा।
- अपने बच्चे के पढ़ने के सारे प्रयासों की तारीफ़ करते रहें, चाहे वे जब छोटे हों और सिर्फ अपने याददाश्त से पढ़ रहे हों और चाहे जितनी भी गलतियाँ कर रहे हों। छोटी-छोटी कोशिशों की भी तारीफ होनी चाहिए और पुरस्कार भी मिलना चाहिए।
- अच्छे व्यवहार के लिए उन्हें किताबें पुरस्कार के रूप में देकर उन्हें चकित करें।
- ज़ोर से पढना उनके रोज़ की ज़िन्दगी का हिस्सा बनाएं। बच्चों को नियमित दिनचर्या पसंद होती हैं - उससे वे सुरक्षित महसूस करते हैं। अपने बच्चे को पढ़ना उसके दिन को समाप्त करने का एक शानदार तरीका है और इससे वे समय पर सो जाते हैं।
- ऐसी पुस्तकों को चुनें जिनमें पुनरावृत्ति के साथ किताबें ,शब्दों की तुकबंदी हो,अनुमानित कहानियां हों, शब्द प्रतिरूप हो और जो बच्चे के मन को लुभाए। अध्ययन हमें ये बताते हैं की जब ऐसी किताबें बच्चे को दी जाएं, तो के तरीकेमें काफी सुधार आएगा।
- ऐसी किताबे चुनें जो बच्चे के उम्र के हिसाब से हों और उसके पसंदीदा विषय पर हों।
- शिशुओं के लिए पक्के और मोटे कवर वाली किताबों का चयन करें। अगर किताब शिशु अपने मूंह में भी रखे, तब भी किताब को कुछ नहीं होगा।
- जब आप उनके साथ पढ़ रहे हों, तो अपने बच्चे को सिखाने की कोशिश न करें।
- पढ़ना मजेदार बनाएं। अपने बच्चे को टोकने और प्रश्न पूछने की अनुमती दें और अगर वह कहानी जानता हो, तो उसे बताने दें।
- जब आप पढ़ रहें हो तो भावपूर्ण रहें। अगर आप पढ़ने और किताबों के बारे में उत्साहित हैं, तो बच्चा आपके जैसा होगा।
- बच्चे के सामने पढ़ते रहें, भले ही उसे पढना आता हो।
- किताबों को नीचेवाले शेल्फ या स्टोरेज टब में रखें ताकि वे आसानी से पहुंच सकें।
सहायक पठन तकनीक जो बच्चा पढ़ने में रूचि रखता है, वह ध्यान देने में सक्षम होता है और सीखने के लिए ध्यान देना आवश्यक है।यहां कुछ 'सहायक पठन' तकनीकें दी गई हैं जो माता-पिता पढ़ने की रुची को प्रोत्साहित करने के लिए अपना सकते हैं।
- बच्चों को अपने गति से पढने दें। अगर वे कहानी से आगे बढ़ना चाहें, तो कोई बात नहीं।
- नन्हे शिशुओं को शब्दों में कोई दिलचस्पी नहीं होती क्योंके, वे उन्हें समझ नहीं पाते। आप पढने के अनुभव को और सुखद बना सकते हैं अगर आप बच्चों को चित्र दिखाएं और उनके रोजाना की ज़िन्दगी से जोड़ें। कहानी से हटने से घबराए नहीं। जब चीज़ें उनके रोज़मर्रा ज़िन्दगी से जोड़कर बताई जाएं तो ये उन्हें बहुत भाता है।
- कहानियों को अपनी शैली में सजाकर परस्पर बनाएं, यह पढ़ते समय बच्चों को काफी मददगार साबित होता है। यह किताबों को मजेदार बनाने में मदद करता है।
- उच्चारण को सही करने के बजाय, अपने बच्चे की समझ का समर्थन करें। जैसे जैसे शब्दों और ध्वनियों से परिचय होता जाएगा, वैसे वैसेउनकी तकनीक में सुधार आएगा।