माता-पिता के रूप में आपने देखा होगा कि आपके बच्चे का मूड अचानक बदल सकता है।ऐसी शुरुआती अवस्था में बहुत जल्द उनके अंदर अचानक भावनाओं का ज्वार पैदा हो जाता है।छोटा मोटा गुस्सा दिखाना उनकी प्रकृति का भाग है, किन्तु जब वे मामूली घटनाओं पर बहुत गुस्सा या निराशा दिखाते हैं तो यह निस्संदेह चिंताजनक बात है।यहां कुछ बातें बताई गई है, जो आप ध्यान में रख सकते हैं जब आपका नन्हा मुन्ना शिशु बहुत गुस्से में है या परेशान महसूस कर रहा है।
- सबसे पहली बात - शांत रहें।सभी छोटे शिशुओं के मामले में गुस्सा सामान्य भावना है।
- हालांकि गुस्से से आसपास के लोगों के लिए बहुत अधिक तनाव पैदा हो सकता है,जैसे आप या उसके भाई बहन, किन्तु मानव विकास में इसकी सकारात्मक भूमिका है।
- माता-पिता के रूप में उसकी सामाजिककरण प्रक्रिया में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका है।आपको सजग रहना होगा और गुस्सा व्यक्त करने के स्वस्थ और उचित तरीकों के मामले में आदर्श बनना होगा।
- जब आपका बच्चा गुस्सा दिखाता है तो आपको हस्तक्षेप करना चाहिए।उनसे सरल प्रश्न पूछें और उनके साथ तर्क से बात करने का प्रयास करें।
- यदि बच्चे भाई-बहनों या दोस्तों के साथ खिलौनों के लिए लड़ते हैं और अपनी मांग पूरी करवाने के लिए उन्हें धक्का मारते / पीटते हैं,तो आपको इस नकारात्मक स्थिति को सकारात्मक सीख में बदल देना चाहिए।
- आप उसके खेल के साथी के रूप में छद्म भूमिका भी निभा सकते हैं और बच्चों को अपने खिलौने सांझा करने का अनुरोध करने का अभ्यास करा सकते हैं।
- आपका लक्ष्य अस्वीकार्य व्यवहार जैसे हिंसा और झुंझलाहट को कम करना है, आपको ध्यान में रखना चाहिए कि बच्चे को गुस्सा महसूस होना बिलकुल ही बंद न हो जाए गुस्से की भावना महत्वपूर्ण है, जिसे बच्चों को महसूसकरने की अनुमति दी जानी चाहिए।
- एक गुस्सा बच्चे को 'अपने शब्दों का उपयोग' कहकर उन्हें शारीरिक साधनों के बजाय अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
- आप प्रोत्साहन योजना भी बना सकते हैं, जिसमें उन बच्चों को छोटे पुरस्कार दिए जाएंगे,जो घूँसा मारने या हथियाने के बजाए बारी बारी से कोई काम करते हैं या चीज़ों को सांझा करते हैं। ऐसा करने से दीर्घावधि में बच्चों को अपनी बारीलेने हेतु कड़ी मेहनत करने को प्रेरित किया जा सकता है।इससे यह उनकी ऐसी आदतों को अच्छी सकारात्मक मजबूती मिलती है।
- यदि आपको वाकई में ऐसा लगता है कि आपके बच्चे का गुस्सा नियंत्रण से बाहर, निरंतर, हिंसक और / या संभावित रूप से खतरनाक है,तो अपने परिवार की भलाई के लिए बाहर से मदद मांगना समझदारी होगी।
- जब आपका बच्चा शांत हो जाए तो उसे इस बारे में पूछें कि उसे इतना गुस्सा क्यूँ आ गया था।स्थिति के सभी पक्षों को समझने में उनकी मदद करें।मिलजुल कर नया विकल्प तलाश करें,जो उस स्थिति में हर किसी को संतुष्ट कर सके।
- अपने गुस्से से निपटने वाले पात्रों के बारे में पुस्तकें पढ़ने से भी बच्चों को यह समझने में भी मदद मिल सकती
है कि केवल वे ही ऐसी भावनाओं से नहीं जूझ रहे हैं। - यद्यपि कई माता पिता को इस बात का एहसास नहीं होता है, परन्तु वे गुस्से से निपटने के मामले में अपने बच्चों के लिए आदर्श होते हैं।यदि आप माता-पिता के तौर पर एक-दूसरे पर चिल्लाते हैं,अशिष्ट बातें कहते हैं,
लोगों पर चिल्लातेहैं, या हिंसा का सहारा लेते हैं,तो ध्यान रखें कि आपका बच्चा यह सब देख रहा है और धीरे-धीरे इसे ग्रहण कर रहा है और यह सीख रहा है कि ऐसा करना ठीक और स्वीकार्य है। - माता-पिता के तौर पर सबसे पहले अपने गुस्से से निबटना सीखना चाहिए और कभी कभार अपने बच्चों को यह दिखाना चाहिए कि गुस्से कीअभिव्यक्ति का उचित तरीका क्या है।जब बच्चे अपने माता-पिता को अपमानजनक भाषा,गालियों या शारीरिक हिंसा के बिना क्रोध व्यक्त करते देखते हैं, तो वे भी ऐसा करना ही सीखेंगे। माता-पिता बच्चों को दिखा सकते हैं कि वे किसी को प्यार करने के बावजूद उनसे सहमत नहीं हैं या फिर
- वे प्रेमपूर्ण तरीके से उनसे रुष्ट हैं।अपने पारिवारिक संबंधों को अधिक खुशगवार बनाने के लिए यह ऐसा अमूल्य सबक है जोआप अपने बच्चों को सिखा सकते हैं।